सोचा था तीन चार दिन या फिर एक हफ्ता अब नहीं लिखूंगा और सिर्फ पढूंगा लेकिन कल के क्रिकेट मैच(भारत आस्ट्रेलिया क्वार्टरफाइनल ) के बाद जो हालात बने हैं उनके बाद लगता है नहीं लिखा तो पेट में दर्द होने लगेगा..
वैसे इस मैच के बाद किसी का कोई भला हुआ हो या ना हुआ हो मुझे एक वरदान मिल गया था वो है सीमित दिव्य द्रष्टि का वरदान, सीमित कैसे वो अभी बताता हूँ .... मुझे अचानक ही भविष्य की कुछ घटनाएँ दिखने लगी थी मै कोशिश करता हूँ उन द्रश्यों को यहाँ चित्रित करने के
"
बुर्के में दो महिलाये सब्जी खरीद रही थी और एक बेच रही थोड़ी देर बाद पता चला की वो तीनो ही क्रिकेट खिलाडी हैं और ऐसे ही कई मजाक मोबाइल संदेशो के जरिये आना जाना शुरू हो गए हैं
अखबारों में खबर पढ़ने को मिली की उन्मादी भीड़ ने क्रिकेट खिलाडियों के घर पर पत्थर फैंके और उनके पुतले जलाये,
टीवी पर उन्ही खिलाडियों के बारे में ऐसे ऐसे ताने मारे जा रहे हैं की वो खिलाडी बेचारे शर्म से मर जाये जिनके बारे में चंद दिन पहले ऐसे शब्द सुनने को मिल रहे थे मानो वो इश्वर के भेजे हुए दूत हैं, मुल्क के सच्चे हीरे हैं.
सारे अखबारों और टीवी समाचारों में उन खिलाडियों पर शब्दों के अत्याचार किये जा रहे हैं की वो सब बेचारगी की हद तक दुखी हो चुके हैं."
अब ये ना पून्छियेगा की ये किस देश के खिलाडियों के बारे में ऐसा कहा जा रहा है क्योंकि मेरी सिमित दिव्य द्रष्टि से मै सिर्फ इतना ही देख पाया था की ये या तो पाकिस्तानी खिलाडियों की हालत है या फिर भारतीय खिलाडियों की.
और मै आपको भरोसा दिलाता हूँ की ३० मार्च के बाद दोनों देशो में से किसी एक देश में यही हालत होगी क्योंकि जब भारत और पाकिस्तान का क्रिकेट मैच हो तो ये मात्र खेल नहीं युद्ध हो जाता है और लोग इसे खेल की बजाय अपनी शान का विषय बना लेते हैं. और दोनों ही देशो में क्रिकेट ऐसा धर्म है जिसकी इबादत और पूजा दोनों ही देशो में सामान रूप से की जाती है. ये तो तय है की दोनों में से एक देश उस दिन इस विश्व कप प्रतियोगीता से बाहर हो जायेगा और उसका सबसे बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ेगा बाहर होने वाले देश के खिलाडियों को.
दोनों देशो के सभी क्रिकेटान्ध जाने क्यों ये नहीं समझते की कोई भी खिलाडी अपना नाम अमर क्यों नहीं करना चाहेगा, कोई भी जान बुझ कर इस जगह से बाहर नहीं होना चाहता, लेकिन इस हार की खीज हम सब मिल कर उन पर उतारते हैं जो पहले ही निराश और दुखी होते हैं.
मै इस खेल का कोई ज्ञाता नहीं हूँ और ना ही मै किसी का पक्ष लेने की कोशिश कर रहा हूँ पर मै बस हमारे देश में जो तरीका होता है खिलाडियों को देखने का या उनसे उम्मीद करने का उसमे बदलाव की मांग करता हूँ.
क्रिकेट में देश को एक करने की जो बात है उसके लिए मै ना नहीं करूँगा उस बारे में पहले ही मेरी पोस्ट भारत में देशप्रेम एकता और क्रिकेट में लिख चूका हूँ लेकिन ये पोस्ट समर्पित है सभी क्रिकेटान्धों को.
अगर एक व्यक्ति भी मेरी इस पोस्ट से खुद को बदल सके तो सोचूंगा की मेरा लिखना सफल हो गया
वैसे इस मैच के बाद किसी का कोई भला हुआ हो या ना हुआ हो मुझे एक वरदान मिल गया था वो है सीमित दिव्य द्रष्टि का वरदान, सीमित कैसे वो अभी बताता हूँ .... मुझे अचानक ही भविष्य की कुछ घटनाएँ दिखने लगी थी मै कोशिश करता हूँ उन द्रश्यों को यहाँ चित्रित करने के
"
बुर्के में दो महिलाये सब्जी खरीद रही थी और एक बेच रही थोड़ी देर बाद पता चला की वो तीनो ही क्रिकेट खिलाडी हैं और ऐसे ही कई मजाक मोबाइल संदेशो के जरिये आना जाना शुरू हो गए हैं
अखबारों में खबर पढ़ने को मिली की उन्मादी भीड़ ने क्रिकेट खिलाडियों के घर पर पत्थर फैंके और उनके पुतले जलाये,
टीवी पर उन्ही खिलाडियों के बारे में ऐसे ऐसे ताने मारे जा रहे हैं की वो खिलाडी बेचारे शर्म से मर जाये जिनके बारे में चंद दिन पहले ऐसे शब्द सुनने को मिल रहे थे मानो वो इश्वर के भेजे हुए दूत हैं, मुल्क के सच्चे हीरे हैं.
सारे अखबारों और टीवी समाचारों में उन खिलाडियों पर शब्दों के अत्याचार किये जा रहे हैं की वो सब बेचारगी की हद तक दुखी हो चुके हैं."
अब ये ना पून्छियेगा की ये किस देश के खिलाडियों के बारे में ऐसा कहा जा रहा है क्योंकि मेरी सिमित दिव्य द्रष्टि से मै सिर्फ इतना ही देख पाया था की ये या तो पाकिस्तानी खिलाडियों की हालत है या फिर भारतीय खिलाडियों की.
और मै आपको भरोसा दिलाता हूँ की ३० मार्च के बाद दोनों देशो में से किसी एक देश में यही हालत होगी क्योंकि जब भारत और पाकिस्तान का क्रिकेट मैच हो तो ये मात्र खेल नहीं युद्ध हो जाता है और लोग इसे खेल की बजाय अपनी शान का विषय बना लेते हैं. और दोनों ही देशो में क्रिकेट ऐसा धर्म है जिसकी इबादत और पूजा दोनों ही देशो में सामान रूप से की जाती है. ये तो तय है की दोनों में से एक देश उस दिन इस विश्व कप प्रतियोगीता से बाहर हो जायेगा और उसका सबसे बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ेगा बाहर होने वाले देश के खिलाडियों को.
दोनों देशो के सभी क्रिकेटान्ध जाने क्यों ये नहीं समझते की कोई भी खिलाडी अपना नाम अमर क्यों नहीं करना चाहेगा, कोई भी जान बुझ कर इस जगह से बाहर नहीं होना चाहता, लेकिन इस हार की खीज हम सब मिल कर उन पर उतारते हैं जो पहले ही निराश और दुखी होते हैं.
मै इस खेल का कोई ज्ञाता नहीं हूँ और ना ही मै किसी का पक्ष लेने की कोशिश कर रहा हूँ पर मै बस हमारे देश में जो तरीका होता है खिलाडियों को देखने का या उनसे उम्मीद करने का उसमे बदलाव की मांग करता हूँ.
क्रिकेट में देश को एक करने की जो बात है उसके लिए मै ना नहीं करूँगा उस बारे में पहले ही मेरी पोस्ट भारत में देशप्रेम एकता और क्रिकेट में लिख चूका हूँ लेकिन ये पोस्ट समर्पित है सभी क्रिकेटान्धों को.
अगर एक व्यक्ति भी मेरी इस पोस्ट से खुद को बदल सके तो सोचूंगा की मेरा लिखना सफल हो गया