Pages

Thursday, March 17, 2011

एक दिन में १७ रूपये से कम खर्च करने वाले व्यक्ति

मै उन लोगो को ढूंढ रहा था जो गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोग है और पूरी ईमानदारी से गरीब है (भारतीय योजना आयोग के अनुसार शहर में दिन में १७ रूपये से कम खर्च करने वाले लोग)  पर मुझे ऐसे लोगो को ढूँढने में कोई सफलता नहीं मिली. मेरी पिछली पोस्ट पढ़े क्या आप किसी गरीब इंसान को जानते हैं

इसके बाद मै जाने क्या सोचता हुआ मंदिर सीढियों पर ही याचको के पास ही बैठ गया था और जाने कितने मिनट तक बैठा रहा और जाने कब तक बैठा भी रहता अगर मुझे एक पुलिस वाले साहब ने झकझोर कर उठाया ना होता.

पहला सवाल जो उन्होंने किया था वो ये था "बेटा किसी अनजान के हाथ से तुमने कुछ खाया पिया तो नहीं है?" मैंने ना में सर हिलाया फिर उन्होंने मेरा मुह सूंघा और कोई बदबू ना आने पर पूंछा "तुम कोई नशा तो नहीं करते हो ना?" मैंने फिर ना में सर हिला दिया. उन्होंने मुझे वहाँ से उठाया और एक बेंच पर बैठा दिया, पानी पिलाया और फिर बोले कपडे से अच्छे घर के जान पड़ते हो कह रहे हो कोई नशा भी नहीं करते फिर वहाँ भिखारियों के बीच क्यों बैठे हुए थे

बिना उनकी तरफ देखे मैंने कहा भिखारी तो गरीब होते हैं ये लोग गरीब नहीं है फिर ये भिखारी कैसे हुए!

उन्होंने कहा "क्या मतलब"!

मैंने उनकी तरफ देखा और फिर सवाल कर दिया "क्या आप गरीब है?" वो अचकचाए और फिर बोले "हाँ". मैंने अगला सवाल भी कर दिया "आप दिन में कितने रूपये खर्च करते हो?" ये सवाल तो उनके लिए पिछले सवाल से भी ज्यादा मुश्किल

साबित हो रहा था थोड़ी देर रुके फिर बोले "तुम्हारे कहने का मतलब क्या है?" मै भी अब तक वापस दुनिया में आ चूका था मुझे लगा की मै क्या कर रहा हूँ लेकिन फिर मैंने जवाब दिया "आपके हिसाब से आप गरीब है तो तस्दीक करना चाहता हूँ

की सच में आप गरीब ही है, और वो आपके खर्च किये जाने वाले रूपये से ही पाता हो पायेगा" उन्होंने जवाब दिया २-३ रूपये से ज्यादा खर्च नहीं करना पड़ता.

मैंने एक बड़ा सा प्रश्नवाचक चिन्ह आँखों में बनाते हुए उनकी तरफ देखा तो वो बड़े प्यार से बोले "गुटखा खाता हूँ लेकिन पान की दुकान वाला पैसे नहीं लेता, सब्जी मंडी से सब्जी खरीदता हूँ तो सब्जी वाला पैसे नहीं लेता, सुबह शाम की चाय के

लिए चाय वाला पैसे नहीं लेता और गाडी का पेट्रोल सरकारी खर्चे पर चल जाता है"

इसके बाद उन्होंने मुझ से पूंछा क्या मै ठीक हूँ.. मैंने हाँ में सिर्फ हिलाया तो वो मुझे वही छोड़ कर चले गए. इन पुलिस वाले सज्जन का नाम मै नहीं जानता मैंने नाम प्लेट नहीं पढ़ी अगर देखा होता तब भी ना लिखता.

वो साहब तो चले गए लेकिन मुझे ये बता गए की वो दिन में १७ रूपये खर्च नहीं करते हैं .....

इसके बाद मैंने मेरे मित्र के एक मित्र को फोन कर उनसे उनके दिन भर के खर्च को जानने की कोशिश की तो जवाब लगभग वही था जो पुलिस वाले साहब ने दिया था. ये महोदय एक सरपंच हैं.

मैंने फिर एक और साहब को फोन लगाया जो एक सरकारी दफ्तर में बाबु हैं उनसे जब उनके खर्च का पूंछा तो उनका जवाब भी कुछ ऐसा ही था जिसमे वो १७ रूपये वाली सीमा से बाहर नहीं निकल रहे थे

तो अब मुझे लगता है की जिन ४ करोड लोगो की बात योजना आयोग कर रहा है वो सभी लोग पुलिस वाले, नेता और सरकारी अधिकारी कर्मचारी होंगे.

अभी गुबार पूरी तरह से फटा नहीं है और इसी विषय पर और लिखूंगा जिसमे आपको ये बताऊँगा की किसी को गरीब बोलने के पहले किन बातों का ध्यान आपको रखना चाहिए ताकि वो आप पर मानहानी का मुकद्दमा ना कर सके

1 comments:

anjule shyam said...

हाँ अब तो गरीब ढूंढने से भी नहीं मिलेंगे.....ढूँढना पड़ेगा दिन में लालटेन ले के फिर भी मिल जाएँ तो बड़ी बात है/////आप तो बड़ी आसानी से ढूंढ़ निकाले गरीब....

Post a Comment

 
Web Analytics