एक बेटी जब जन्म लेती है तो उसके बाद कई घरों में लोगो का हाव भाव बड़ा ही अजीब हो जाता है ऐसे समय में अगर वो बेटी अपने परिवार से सवाल कर सकती तो उसके सवाल शायद ऐसे ही कुछ होते
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मै बस अभी अभी इस दुनिया में आई हूँ
पर फिर भी आप सब मुझ से नाराज क्यूँ है..
भगवान जी ने मुझे यहाँ भेंजने के पहला कहा था
मेरे पहले रोने पर सभी खुशिया मनायेंगे
लेकिन यहाँ सभी इतने उदास क्यूँ है
माँ... भगवान जी ने मुझे यहाँ भेजते समय कहा था
की वहा मुझे दुसरे भगवान जी मिलेंगे जिसे मै माँ कहूँगी
मैंने उनसे पूंछा था की मै माँ को पहचानूंगी कैसे
तो वो बोले थे की माँ की आँखों में आंसू और चेहरे पर ढेर सारी खुशी होगी
तुम्हारी आँखों आंसू तो है पर चेहरे पर खुशी क्यों नहीं है
भगवान जी ने मुझ से कहा था
तुमने मुझे ९ महीने सब से बचा कर अपने पेट में रखा था
बहुत सारी तकलीफे उठाई थी
अब जब मै ठीक हूँ तो क्या तुम्हे खुशी नहीं हो रही है
भगवान जी ने ये भी बताया था की जब भैया आया था
तो दादा जी ने उसे उनका नया जन्म कहा था
तो फिर दादी जी आप मेरे होने पर क्यों कह रही हो
मै कुल को खत्म करने के लिए आई हूँ
क्या मै आपका नया जन्म नहीं हो सकती
चाचा, चाची, ताऊ, ताई आप लोग क्यूँ नाराज हो मुझ से
मैंने तो ना आपसे कुछ माँगा है और ना कोई उम्मीद है
फिर भी आप मेरे होने पर दुखी ही है
पापा क्या मै इतनी बुरी हूँ
की सब मेरे आने से इतना दुखी हो गए, रोने लगे.
भगवान जी ने मुझ से कहा था की मै जहा जा रही हूँ
वहाँ मुझे मेरे पापा मिलेंगे
जो मुझे सबसे ज्यादा प्यार करेंगे
भगवान जी से भी ज्यादा
वो मुझे कभी रोने नहीं देंगे,
कोई मुझे कुछ बोलेगा तो पापा उसको डांटेंगे
मै जो मांगूंगी वो मुझे ला कर देंगे
मेरा हमेशा ध्यान रखेंगे,
कोई गलती करूंगी तो भी गुस्सा नहीं होंगे
लेकिन पापा मैंने तो कोई गलती नहीं की
मैंने तो कुछ माँगा भी नहीं
फिर भी आप मुझ से क्यों गुस्सा हो
ये सब लोग मुझे गन्दा गन्दा बोल रहे है
तो आप इनको डांट क्यूँ नहीं लगाते
आप मेरे आने पर मिठाई भी नहीं बाँट रहे और खुश भी नहीं हो
लेकिन फिर भी मै आपको सबसे ज्यादा प्यार करूंगी
और हमेशा करती रहूंगी
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ये सवाल सभी पर लागू नहीं होते कुछ ऐसे लोग भी है जिनके लिए बेटी का होना परिवार का सम्पूर्ण होना होता है
उम्मीद है मैंने किसी का दिल नहीं दुखाया होगा अगर ऐसा हुआ है तो क्षमा चाहूँगा
2 comments:
ek ek likhi hui line sahi h!sandeep ji esi tarah agar aaj ke yuva samaj ki buraiyo ko samne laye aur usase lade to yuva samaj ko badal sakte h !aur aapki kavita jo sandesh samaj ki burai ke bare me ek navjat bachchi ke mukh se bata rahi h wo wakai chintamay h.samaj ki en buraiyo ko dur kar ke hi ek swatantra aur buraiyo rahit desh aur samaj banaya ja sakta h. sandeepji aapki kavita prashanshniy abam sharahniya hai . aap ese tarah ki rachna se samaj ki buraiyo par prakash dalte rahiye. aaj ke yuva aap ke sath hai . aur yuva hi ek jut ho kar samaj ki en buraiyo ko door karenge.
Dhanybad
Nitin
Wao Great write ups sandeep ....
Really this is a matter of shame for we indians who still in 21st century have thoughts like that
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