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Friday, March 18, 2011

किसी को गरीब बोलने के पहले किन बातों का ध्यान रखें

जैसा की मैंने मेरी पिछली पोस्ट एक दिन में १७ रूपये से कम खर्च करने वाले व्यक्ति में कहा था अगली पोस्ट में ये लिखूंगा की किसी को गरीब बोलने के पहले किन बातों का ध्यान आपको रखना चाहिए ताकि वो आप पर मानहानी का मुकद्दमा ना कर सके.

यू तो मै पहले ही काफी कुछ लिखा चूका हूँ जिससे आप ये तय कर सकते हें की कौन गरीब है और कौन गरीब नहीं है, लेकिन फिर भी कुछ और ऐसी बाते लिखना चाहूँगा जिससे आप को ये तय करने में आसानी रहे की सामने वाला इंसान गरीबो

की श्रेणी में आता है की नहीं अन्यथा ऐसा ना हो जाये की आप तो उन्हें गरीब बोले और वो आप पर मान हनी का मुकद्दमा कर दें.

आप किसी को भी गरीब बोलने के पहले कुछ बिन्दुओ पर ध्यान दे दें और अगर आप को लगता है की सामने वाले व्यक्ति पर इनमे से कोई भी बिंदु उपयुक्त बैठ रहा है तो क्रप्या उसे गरीब ना कहे. इन सभी बिन्दुओ को रखने का कारण विस्तार पूर्वक किसी और पोस्ट में लिखूंगा यहाँ संक्षेप में कोशिश कर रहा हूँ.

क्या व्यक्ति रोज नहाता है, साबुन और तेल में २-३ रूपये का खर्च तो लग ही जायेगा
क्या व्यक्ति के पास २ जोड़ से ज्यादा कपडे हें कम से कीमत वाले कपडे खरीदने पर भी उसके एक दिन का खर्च २ रूपये तो हो ही जायेगा
क्या व्यक्ति किसी सवारी वाहन में यात्रा करता है, कम से कम दूरी के लिए भी किराया ३ रूपये तो होता ही है और दूरी के हिसाब से बढ़ता जाता है
या फिर व्यक्ति के पास खुद का सवारी वाहन जैसे की साइकिल है, महीने में कम से कम ३० रूपये तो खर्च हो ही जायेंगे साईकिल पर इस तरह दिन का १ रुपया
व्यक्ति कही बाहर चाय भी पीता है क्या, यदि हाँ तो मात्र एक चाय के भी ५ रूपये लग ही जायेंगे
यदि व्यक्ति कोई नशा जैसे की बीडी,तम्बाखू या गुटखा खाने का शौक़ीन है तो फिर तो वो गरीब हो ही नहीं सकता क्यों की ये व्यक्ति तो नशा खोरी करता है और ये तो अय्याशी है कोई मजबूरी नहीं
क्या व्यक्ति पैरों में जूते या चप्पल पहनता है क्योंकि अगर जूते/चप्पल पहनता है तो भी दिन का एक २ रुपया तो वो खर्च कर ही रहा है
क्या व्यक्ति के पास मोबाइल फोन है यदि हाँ तो दिन का २ रुपया तो वो जरूर खर्च करता ही है (मोबाइल कपंनी के नियम के मुताबिक एक नंबर को कम से कम २०० रूपये १८० दिन में खर्च करना ही होंगे )
क्या व्यक्ति २ समय का खाना खाता है, यदि जवाब हाँ है तो भूल जाइये की ये व्यक्ति गरीब हो सकता है क्योंकि एक वक्त के खाने के लिए भी कम से कम १२-१५ रूपये लग जाते हें तो फिर सामने वाला व्यक्ति गरीब कैसे हो सकता है

तो आगे आप जब भी किसी को गरीब कहे तो इन बातों के बारे में सोच अनुमान लगा लीजियेगा की क्या सामने वाला व्यक्ति गरीब हो सकता है

इस पोस्ट की श्रंखला को अब खत्म करूँगा लेकिन इसके बाद एक चिट्ठी लिखने वाला हूँ जो की मै शहर के महापौर, कलेक्टर, मौजूद मंत्री और अखबार तक वो चिट्टी और मेरी पिछली तीन और ये पोस्ट पहुँचाने की कोशिश करूँगा मेरा आक्रोश दिखाने के लिए. अगर आप को लगता है की मै सही कर रहा हूँ और आप इस में मेरा साथ देना चाहते हें तो आप भी यही कोशिश कीजिये

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अफसरो, नेताओं तथा पदाधिकारियों के लिए एक चिट्ठी और सत्याग्रह

3 comments:

अजय कुमार झा said...

नहीं संदीप भाई ,
आज भी सच में ही कुछ सुदूर ग्रामीण इलाकों में आपको इतने गरीब लोग मिल जाएंगे कि वे खाने तक के लिए तरस रहे हैं कहिए कि जीवन के लिए जानवरनुमा जिंदगी बसर कर रहे हैं , बस हमारी नज़रें वहां तक पहुंची नहीं है ..आज सब केन्द्रित हो गया है ...और दायरा भी सिमट सा गया है ..उस दायरे के परे अभी भी जीवन जीना ही एक बडी कठिनाई है । ्लेकिन हां शहरी गरीबों की स्थिति वही है जो आपने बयान की । सार्थक प्रश्न उठाती पोस्ट

आक्रोश और आग्रह said...

अजय भाई आपकी बात बिलकुल सही है और मैंने ऐसे लोगो को देखाभी है और ऐसे गरीबो को देख कर आपकी मेरी आँखे नम हो जाएँगी इस बात का यकीन आपको मै दिलाता हूँ लेकिन फिर भी वो लोग BPL में नहीं होंगे क्योंकि BPL में जाने के लिए उनके पास रिश्वत नहीं है....

और कुछ भी हो १२ रूपये और १७ रूपये तो कोई पैमाना ही नहीं है गरीबी नापने का इस महंगाई के ज़माने में

anjule shyam said...

तुम अब भी सूखी रोटी की बात करते हो। इतना जान लो कि गरीबी और सूखी रोटी अमीर लोगों की कवितायें हैं। वो इनकी बातें कर करके अपनी जी बहलाते हैं, ये उनका फैशन है। रही बात गरीबी की तो वह एक श्राप है और उसमें पड़ा रहना एक तरह की हिमाकत
- फिल्म 'हम दोनो'
किस बात की फरियाद करूँ और किसे गरीब मानून यहाँ तो वही सबसे गरीब नज़र आते हैं जो ऊँची ऊँची बिल्डिंगों में रहते हैं...

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