पिछले कुछ दिनों से काफी कुछ पढ़ रहा हूँ
कांग्रेस के खिलाफ जनता में रोष है, अब इस सरकार को बदलने का वक्त आ गया है (व्यक्तिगत रूप से मै भी चाहता हूँ )चलिए यहाँ तक बात ठीक है लेकिन समस्या ये है की आपके पास आज कोई विकल्प ही कहाँ है
सब कहते हैं इस बार सरकार दूसरी बनेगी, अरे भाई ये बात तो पिछली बार भी कही थी २ साल पहले तब क्या हुआ था, तब सब कहाँ सोये हुए थे अब ऐसे कैसे अचानक शीत निद्रा से जाग गए. चलिए अच्छा है जाग गए और ये भी तय रहा की अब कांग्रेस की सरकार नहीं बनेगी तो पहले तो ये बताइये की अभी भी कौन सा कांग्रेस की सरकार है अभी भी तो खिचड़ी ही सरकार है जिसमे कुछ लोग DMK के हैं तो कुछ तृणमूल के तो कुछ कही से और कुछ कही से
चलिए मान लेते हैं आप सही है UPA ही गलत है तो सही कौन है ये बताइये और UPA नहीं तो कौन क्या NDA
उसमे कौन सा सब दूध के धुले हैं कुछ कट्टर भाजपाई नरेंद्र मोदी जी को आगे करेंगे बात सही भी लगती है वो कद्दावर नेता हैं, लेकिन समस्या यही है की वो भी १३ दल मिलाकर जब सरकार बनाएंगे तो क्या ताकत दिखा पाएंगे और BJP के पास पूर्ण बहुमत आने जैसे हालात तो नहीं है अभी राज्य सभा में पाता चल ही गया है
और जब बात चलती है नेताओं की तो सब एक सिरे से सारे नेताओं को चोर बना बैठते हैं, उम्मीद है ही नहीं की कोई नेता कुछ करेगा (मुझे भी नहीं है) पर जाने क्यों कही ना कही कुछ दबा बैठा है की अच्छा होगा लेकिन उसके लिए अच्छा नेता कहा से लाऊं अत: इन्ही में से किसी को अच्छा मानना पड़ेगा.
वैसे एक अजीब बात और भी है हम सारे नेताओं को चोर कहते हैं लेकिन आज तक मुझे नहीं लगता की कोई भी ईमानदार इंसान संसद में पहुंचा होगा पिछले २० सालो में तो गलती तो हमारी ही है ना हम चोर है तो नेता भी चोर.
मुझे नहीं पता की मै क्या ऊटपटांग लिख रहा हूँ लेकिन सिर्फ ये जानता हूँ की अगर आप बदलाव नहीं कर सकते तो किसी भी नेता को गाली देने का हक भी नहीं रखते हैं
आप किसी भी स्तर पर बदलाव करिये, चाहे उस बदलाव से कुछ फर्क ना दिख रहा हों लेकिन अगर आप ने कुछ करा है तभी नेताओं को चोर कहने की हिम्मत करिये अन्यथा नहीं
कोई इसके लिए दिमाग ना लगाए, मैंने लिखने में नहीं लगाया आप पढ़ने में क्यों लगाओ
और एक बात सभी को कह दूं की ना मै किसी नेता को व्यक्तिगत रूप से जानता हूँ ना ही किसी पार्टी का भक्त हूँ लेकिन ये सवाल हमेशा ही उद्वेलित करता था अत: आज लिख दिया
Friday, July 8, 2011
नेता जी को गालियाँ
Posted by
आक्रोश और आग्रह
at
12:05 PM
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