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Wednesday, December 14, 2011

भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग मे भ्रष्टाचारीयों के मोहरे मत बनिए


मुझ से इस बात के लिए कई लोग नाराज हो सकते हैं जो सिर्फ हिंदू हिंदू या मुस्लिम मुस्लिम करते हैं .... आज जो हालात देश के हैं उन हालातो मे अगर किसी को कुछ याद रहना चाहिए तो वो सिर्फ ये याद रहना चाहिए की देश कुछ विदेशी लोगो और विदेशी सोच के गुलामों के हाथो मे कैदी पड़ा हुआ है|

आज भी देश के हालात शायद ४७ के पहले जैसे ही हो रहे हैं जहाँ बोलने की आजादी नहीं थी, अपनी जायज मांगों को पूरा करने के लिए अनशन करना पड़ता था या अपनी बात को बहरी हो चुकी संसद और लाचार होते देश वासियों तक पहुँचाने के लिए तमाचे के धमाके की जरूरत पड़ने लगी है|

देश का रुपया देश के हुकुमरान लूट कर विदेश ले जा रहे हैं और हमारे देश को खोखला कर रहे हैं, मुमकिन है इसी पैसे से किसी विदेशी आतंकवादी संगठन की जाने अनजाने मदद भी हो रही हो |

आज हमारे देश के प्रधान उसी हालात मे है जैसे ४७ के पहले थे बिना ताकत के, और चंद समझदार हिंदू और चंद समझदार मुसलमान भी बिलकुल वैसे ही हालात मे है जैसे ४७ के बिलकुल पहले थे ... जिन्ना और नेहरु की राजनीती के कारण दो हिस्सों मे बंटे हुए |

हम आज भी आजादी की मांग कर रहे हैं और हमने आजादी की मांग तब भी की थी और हम इन राजनेताओं के चलते तब भी दो टुकडो मे बंटे थे और आज भी ये सत्ता के लालची घटिया नेता हमें दो हिस्सों मे ही बाँट कर रखना चाहते हैं |

आजादी के लिए अगर चन्द्रशेखर आजाद ने संघर्ष करा था तो अशफाक उल्ला खां ने भी फांसी को चूमा था , अगर आप हिंदू होने के दम भरते हुए अश्फाक उल्ला खां की कुर्बानी को सोच कर आप की आँखे न छलछला जाए और लहू उबाल न मारने लगे तो धिक्कार है आपके भारतीय होने पर, अगर आप खुद को मुस्लिम कहते हैं और चंद्रशेखर आजाद की पेड के नीचे रखी लाश को दिमाग मे चित्रित कर के भी आप का कलेजा न फटे खून न उबले तो लानत है आप को खुद को भारतीय मुसलमान कहने पर |
भगतसिंह को तो आज भी भारत और पाकिस्तान मे एक जैसा ही सम्मान दिया जाता है उनके बारे मे तो कहना ही क्या |

यहाँ मै हिंदू या मुसलमान की नहीं हिंदुस्तान की, भारत की बात करना चाहता हूँ | आज जिन मुश्किल हालातों मे देश है उन हालातों मे हमें हिंदू मुस्लिम के नाम पर एक दुसरे से लड़ने की नहीं बल्कि एक हो कर भ्रष्टाचार से, विदेशी ताकतों और विदेशी गुलामो से लड़ने की जरूरत है, ताकि हम हमारे देश को फिर से वही बना सके |

आजादी को पाने मे हिंदू मुस्लिम सिख तीनो ने अपना पूरा योगदान दिया था तो आज इस भ्रष्टाचार के विरोध मे खड़े होने के बजाय हम हिंदू और मुस्लिम के नाम पर क्यों लड़ रहे हैं|

और ये शिकायत मै किसी हिंदू से नहीं कर रहा हूँ, किसी मुस्लिम से भी नहीं कर रहा हूँ मै ये शिकायत कर रहा हूँ भारतवासियों से ..अगर आप भारतवासी है तो ही आप को भारत माता की तकलीफ समझ आएगी हिंदू मुस्लिम इस तकलीफ को नहीं समझ सकते |

मेरी आप से सिर्फ इतनी चाहत है की आप उसका साथ दें जो आप को सही लगे ..अगर आप को लगता है अन्ना हजारे गलत है तो उनका साथ मत दीजिए, रामदेव का साथ दीजिए ..वो भी गलत लगते हैं तो सुब्रमण्यम स्वामी का साथ दीजिए वो भी गलत लगते हैं तो जिस पर आप भरोसा कर सकते हैं उसका साथ दीजिए भ्रष्टाचार के खिलाफ | बस हिंदू मुस्लिम की बहस मे मत पडिये, हिंदू मुस्लिम के नाम पर मत लड़िए और जो लड़ा रहे हैं उनसे दूर रहिये.

Saturday, December 10, 2011

लोकपाल के लिए आम जनता का सवाल और कांग्रेस की प्रतिक्रिया



टीवी पर एक विज्ञापन आता है (शायद होर्लिक्स या बौर्नवीटा का ) अगर उसे कांग्रेस और आम जनता के संवाद से बदल दिया जाये तो आज शायद कुछ ऐसा संवाद बनेगा

कांग्रेस : हम लोकपाल ले कर आ रहे हैं |

आम जनता : अच्छा, पर भ्रष्टाचार के लिए क्या कर रहे हैं |

कांग्रेस : अरे हम लोकपाल ले कर आ रहे हैं |

आम जनता : अच्छा, पर भ्रष्टाचार के लिए क्या कर रहे हो |

कांग्रेस : "अरे बेवकूफों बताया तो की हम लोकपाल के कर आ रहे हैं "|

आम जनता : अच्छा, पर क्या उस लोकपाल से भ्रष्टाचार कम होगा या बढ़ेगा | अगर भ्रष्टाचार रोकना है तो ऐसा कानून लाओ जो जनता की मदद करे जनता का खून चूसने वाले नेताओं और सरकारी अधिकारीयों की नहीं |

कांग्रेस : सी बी आई अधिकारी को फोन पर "इस आम जनता के खिलाफ भ्रष्टाचार के सबूत लाओ" | आम जनता से "देखो हम इसे आम जनता के फायदे के लिए ही बना रहे हैं" | मीडिया कर्मियों को फोन "इस आम जनता का नाम किसी भी फालतू की बात में फंसाओ" | आम जनता से "देखो ये संसद के लोग (जो की आधे तो गंवारो से गए गुजरे हैं, और कुछ गुंडों की तरह लड़ते हैं) जनता की भलाई के लिए ही काम करते हैं | पार्टी के लोगो से "इस आम जनता के खिलाफ धरने करो प्रदर्शन करो" | आम जनता से "आप घर जाओ हम इस समस्या का समाधान निकाल लेंगे "

आम जनता जैसे ही मुडेगी

कांग्रेस : ट्यूबेल , पिग्विजय , कुखर्जी , बीमारी, म्रभा , जाओ इस आम जनता के खिलाफ बयानबाजी शुरू करो कल तक लोगो का ध्यान तुम्हारे बयानो पर आ जाना चाहिए इस भ्रष्टाचार पर नहीं |

Friday, December 9, 2011

एक पत्र नंदन नीलकानी जी को संसदीय समिति द्वारा UID को बंद करने के बाद

श्रीमान नंदन नीलकानी जी

सादर ,

आज से करीब १ साल पहले नेसकाम सम्मेलन में आप से मिलने का सौभाग्य मिला था और उसके बाद आप को सुनने का भी. उस समय जब आप को सुना था तो लगा था की आप के संरक्षण में यु आई डी परियोजना देश को विकास के अगले स्तर पर ले
जाने में एक महती भूमिका निभाएगी. वहाँ बैठे बैठे ही मैने देश के लिए कुछ सपने देखना शुरू कर दिए थे. जिस तरह से इस व्यवस्था को आपने समझाया था मुझे लगा था की दस साल बाद हमारे देश में भी उन्गलियों की छाप या एक तस्स्वीर से किसी
भी इंसान को पहचाना जा सकेगा, कोई अपराधी अगर अपराध कर के भागना चाहता है तो उसे हवाई अड्डों या दुसरे जगहों पर निगरानी कर के पकड़ा जा सकेगा. मुझे लगा था की ये व्यस्था देश की सुरक्षा व्यवस्था में एक बड़ा योगदान देगी.

आप ने कहा था की सारे बैंक अकाउंट इस आधार व्यस्था से जुड जायेंगे ताकि कोई भी व्यक्ति किराना दुकानों को ATM की तरह इस्तेमाल कर सकेगा और पैसे निकाल सकेगा (आप ने कहा था एक इंसान औसतन ३०० रूपये निकालता है ATM से) और
सारे पैसे का लें देने सिर्फ फिंगर प्रिंट के आधार पर ही हो जायेगा. और एक ही UID दो लोगो को नहीं दिया जा सकेगा. तकनीक भी आप ने समझाई थी जो की मुझे पूरी तरह से भरोसेमंद लगी थी.

वो सुन कर मै मानने लगा था की तब काला पैसा खाने वाले पैसा कैसे जमा करेंगे क्योंकि नकली नाम से बैंक में पैसा जमा नहीं हो सकता वजह है हर बैंक खाते के लिए UID लगेगा, मुझे लगा था की इससे काला बाजार भी रुकेगी और बेईमानी में भी
कमी आ सकती है.

मेरे दिल में ये उम्मीद थी की नरेगा जैसी योजनाओं में पैसा सीधे मजदूर के खाते में भेजा जा सकेगा और उन योजनाओं पर से बिचौलियों का पैसा खाना रुक जायेगा.

ये उम्मीद भी जागी थी की सारा काम आनलाईन होगा तो नकद मुद्रा रखने की जरूरत कम हो जायेगी उससे ना सिर्फ काला काला पैसा कम होना शुरू होगा बल्कि पारदर्शिता भी आएगी.

चूंकि सारे UID एक दुसरे से जुड़े हुए होंगे तो ये भी पता चलता रहेगा की किस खाते में से किसको कितना पैसा मिला है और जो बड़ी बड़ी राजनैतिक पार्टियाँ है ये कहा से अपना चंदा ले कर आती हैं वो भी पता चलेगा.

मुझे लगता था की इससे एक आम इंसान की जिंदगी आसान हो जायेगी और सुरक्षित भी.

आप ने ये भी बताया था की UID से B2B और B2C जैसी कई एप्लीकेशन(सोफ्टवेयर) पैसा कमाने के लिए भी बनाई जा सकती है जिससे कई लोगो को रोजगार मिलेगा और मै इस बात पर भी सहमत हो गया था. मै तो एक ऐसी एप्लीकेशन की
रूपरेखा मेरे अधिकारी को देकर भी आ गया था जो की कई वित्तीय संस्न्थानों के लिए काफी मददगार साबित हो सकती थी और चोरों को अपराध से पहले पकड़ने में मदद कर सके ऐसी अप्लीकेशन की रूपरेखा भी मेरे दिमाग में थी. और मेरे जैसा मूढ़ मगज
ये सोच सकता है तो बुद्धि के ढेरो स्वामी बैठे हैं जो जाने क्या क्या कर सकते हैं इस परियोजना से.

ये सब कहने का कारण सिर्फ इतना है की मुझे उस दिन पहली बार लगा था की हमारे देश के नेता हमें अगली पंक्ति में जाने के लिए लालायित है बजाय खुद की जेब भरने के. और इस बात पर भरोसा करने का एक बहुत बड़ा कारण आप थे. मुझे लगा था
की आप है तो इस परियोजना में कोई धोखा नहीं होगा क्यूँ की आप अपनी कंपनी को छोड़ कर एक अच्छे काम के लिए देश हित में काम कर रहे हैं.

अब मै दूसरी बात कहूँगा, पिछले जन लोकपाल आन्दोलन में जब आप ने अन्ना हजारे का विरोध करते हुए कहा था की संसद को उसका काम करने देना चाहिए, मैने आप की बातों का जरा भी विरोध मेरे दिल में नहीं रखा लेकिन आज भी आप वही बात कह
पाएंगे क्या. तब आप ने कहा था की संसद को उसका काम करने देना चाहिए अब मै जानना चाहता हूँ की क्या संसद जो करती है वो हमेशा सही होता है.

उन्होंने UID परियोजना पर विराम लगाने का इरादा जता दिया है. इस कानून पर रोक लगाने वाली कमिटी ने जो भी बाते दी है वो मै ढूंढ नहीं पाया हूँ लेकिन ये तय है की इस परियोजना के रुकने से नुक्सान हमारे देश का होना है और फायदा होगा चोर
बदमाशो और काला पैसा जमा करने वाले लोगो को जिसमे नेता बहुत बड़े स्तर पर शामिल हैं. इन लोगो को कैसे फायदा होगा वो मै मेरे पत्र में आगे विस्तार पूर्वक लिखूंगा लेकिन इस परियोजना में जो सबसे ज्यादा ठगा गया है वो है वो युवा समूह जो
आपके कहने पर अपनी नौकरियां छोड़ कर दुनिया के दुसरे कोने से अपनी भारत माँ की सेवा करने के लिए इस परियोजना में शामिल हो गए. आप उनकी मेहनत को संसद की एक कार्यसमिति (जो की भ्रष्टाचार से मुक्त हो ऐसा जरूरी नहीं है ) के कहने पर
अगर बर्बाद होने देते हैं, उनके त्याग को अगर आप ऐसे ही मिट्टी में मिलने देते हैं तो उन युवाओं के हर त्याग के दोषी भी आप होंगे. उनको ठगने वाले आप ही होंगे.

मेरी राय में UID परियोजना बंद करने के कुछ कारण जो कभी भी उजागर नहीं किये जायेंगे :

हमारे देश में हर घटिया योजना के लिए इतना पैसा दिया जाता है की अगर इस योजना को पैसे की कोई भी वजह बता कर बंद किया जा रहा है तो वो सरासर बेवकूफी होगी और मेरे जैसा इंसान इस बात को मानने से इन्कार कर देगा.

१) नेताओं को काला पैसा जमा करने में दिक्कत आएगी :-->सारा काम जब ओनलाइन हो जायेगा तो नेताओं को अपना पैसा जमा करने के लिए ये सोचना पड़ेगा की किस तरह से जमा करेगा क्यूँ की तब नकली पहचान बनाना बड़ा मुश्किल हो जायेगा और
बिना नकली पहचान के बैंक में पैसा जमा करना याने की अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारना होगा.

२) बेनामी सम्पति रखना असम्भव हो जायेगा :--> UID योजना पूरे देश में कार्यान्वित हो जाने के बाद हर सम्पति को UID से जोड़ा जा सकेगा और उस स्थिति में कोई भी बेनामी सम्पति एक अलर्ट दे सकती है ..इसका मतलब ये ही होगा की कोई भी
बेनामी सम्पति नहीं रख सकता वर्ना वो राजसात हो जायेगी और नेताओं से ज्यादा बेनामी सम्पति शायद किसी के पास नहीं निकलेगी आप भी जानते हैं और मै भी.

३) नरेगा या इसके जैसी योजनाओं में घोटालेबाजी कम या खत्म ही हो जायेगी :--> चूंकि सारा पैसा सीधे मजदूर के खातों UDI के बेस पर जायेगा तो नेता इसमें घोटाले नहीं कर पायेंगे. "कद्दू कटेगा तो बराबर बटेगा "  तर्ज पर हर घोटाले में नीचे से ऊपर
तक हर किसी का हिस्सा होता ही है चाहे छोटा हो या बड़ा घोटाला. जब हिस्सा ऊपर वाले लोगो को मिलना बंद होगा तो नीचे वाले यूँ भी ज्यादा कुछ कर नहीं पाएंगे.

४) UDI के आधार पर रिश्ते जोड़ना और भ्रष्टाचार को पकडना :--> इससे पारिवारिक रिश्ते तो जुड ही जायेंगे और उनकी सम्पति भी पता चल जायेगी. याने की अगर कोई नेता अपने पारिवारिक व्यक्तियों के नाम पर कोई सम्पति या काला पैसा जमा
करता है तो वो भी अलर्ट आ सकता है जो की भ्रष्टाचार निरोधी इकाई के लिए काफी मददगार होगा और भ्रष्ट नेताओं के लिए जहर. ऐसा ही रिश्ता उन लोगो के साथ भी जोड़ा जा सकेगा जो की नेताओं के लिए काम करते हैं और एक बड़ी सम्पति के
मालिक है.

५) अपराधियों की पहचान और उनके पुराने काम तथा पुराने रिश्ते : --> सारे भ्रष्ट नेता इस बात से परेशान रहेंगे क्योंकि जो भी भ्रष्ट नेता हैं उनका खुद का अपराधिक रिकार्ड है या उनके अपराधियों से सम्बन्ध हैं, चूंकि कई नेता अपने अधिकारों का नाजायज
इस्तेमाल कर के इन अपराधियों को बचाते रहते हैं पर अगर न्यायपालिका और व्यस्था चुस्त और इमानदार हो गई तो ये सारे अधिकारों का दुरुप्योग इस लिए खतम हो जाएगा क्योंकि उन नेताओं का नाम भी इस आपराध में अनजाने ही जुडा होगा और
कोई भी गलत हरकत सीधे उस नेता पर आरोप लगा देगी.

इस परियोजना के बंद होने से होने वाले नुकसान को एक बार फिर से मै संक्षिप्त में लिखा चाहूँगा .

१) नेताओं के भ्रष्टाचार कम कर सकने का एक मौका हमेशा के लिए खत्म हो जायेगा .

२) देश की भीतरी और बाहरी सुरक्षा व्यस्था जो की काफी मजबूत हो सकती थी वो नहीं हो पायेगी.

३) आम इंसान का जीवन आसान हो सकता था अब नहीं हो पायेगा.

४) आप के आह्वान पर जमा होने वाले हर युवा की मेहनत बेकार होगी और असंतोष बढेगा.

अगर आप को लगता है की मेरी कही हुई बातों में से एक भी बात आप को सही लगती है तो कृपया संसद को उनका काम करने दे वाली आप की राय को बदलिए और एक आवाज मुखर करिये. मै आप को भरोसा दिलाता हूँ की देश का युवा अगर अन्ना हजारे के साथ था तो आप के साथ भी खड़ा होगा.

धन्यवाद
अम्बिका प्रसाद दुबे (कुंदन)
 
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