आज अन्ना हजारे जी भ्रष्टाचार मुक्त भारत के लिए लड़ रहे हैं और हम सब उनका साथ देने का दावा कर रहे हैं लेकिन क्या सच में हम उनका समर्थन कर रहे हैं, क्या सच में हम भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड फैंकने के लिए कृत संकल्पित है.
आज किसी न किसी तरह से हम सब भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं,और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना भी उतना ही बड़ा अपराध है जितना भ्रष्टाचारी होना.
सबसे पहले मै सवाल करूँगा भ्रष्टाचार क्या है, मेरे हिसाब से इसका सीधा जवाब है "अपने पद का दुरपयोग कर के खुद के लिए गलत फायदा उठाना या अनुचित तरीके से दूसरों के अधिकारों को दबा कर खुद के लिए लाभ उठाना".
मेरी अगली बात ये है की हम सब किसी न किसी स्तर पर भ्रष्टाचार कर रहे है या उसे बढ़ावा दे रहे हैं, इसके उदाहरण आप कुछ इस तरह से ले सकते हैं ...
एक पहले से लगी हुई कतार में खड़े होने के बजाय हमेशा आगे आने की कोशिश करेंगे ताकि हमारा काम जल्दी हो जाये, जो ऐसा कर रहे हैं वो तो एक भ्रष्टाचारी बन ही गए जो पीछे खड़े है वो इस बात का प्रतिकार भी नहीं करते की भाई आप कतार में क्यों नहीं लगते तो पीछे खड़े हुए सभी लोग बन गए भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाले. थोड़े समय बाद होता ये है की इस तरह से कतार के बीच में आना ये लोग अपना अधिकार मान लेते हैं.
दूसरा उदाहरण ये ले सकते हैं की
आप एक किराना दुकान पर दुकानदार द्वारा एक किलो में २० ग्राम कम तौलने पर या पेट्रोल पम्प पर १०० रूपये में ६५ पैसे का कम पेट्रोल देने पर या ऐसे ही किसी मौके पर कभी कोई शिकायत नहीं करते ये सोच कर की इतने से के लिए क्या लड़ना और चुपचाप सह लेते हैं, नतीजा ये होता है की दुकानदार हर बार यही करता है और वो इसे अपना अधिकार मान लेता है. इस तरह से दुकानदार तो भ्रष्टाचारी बना ही हम भी भ्रष्टाचार का साथ देने वाले बन जाते हैं.
एक उदाहरण और ले सकते हैं
अपना फायदा करने के लिए बिल ना लेना या कम पैसे का बिल लेना भी एक तरह से भ्रष्टाचार ही है. ५००० रूपये के सामान पर कुछ रूपये का टैक्स बचाने के लिए हम बिल नहीं लेते हैं ताकि हमारे ६००-७०० रूपये बच जाये लेकिन इस वजह से सरकारी खजाने में जाना वाला सारा पैसा दुकानदार की काली कमाही का हिस्सा बन जाता है. यहाँ हम ना केवल भ्रष्टाचारी बने बलि भ्रष्टाचार का पूरा पूरा साथ ही दिया है.
इसी तरह से आप उदाहरण देखने की कोशिश करेंगे तो आप को हर जगह इस तरह के उदाहरण मिल जायेंगे जहा हम अपना समय या पैसा बचाने के लिए या कोई काम निकलवाने के लिए कभी भी भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने में पीछे नहीं हटते हैं.
कहने के लिए ये सारी बाते बहुत छोटी हो सकती है लेकिन इसका जो असर होता है वो बहोत बड़ा होता है और ये असर सिर्फ आज नहीं आने वाली नस्ल को भी पूरी तरह से भ्रष्टाचारी बना देता है.
हम एक भ्रस्टाचार मुक्त भारत तो चाहते हैं लेकिन खुद को नहीं बदलना चाहते.
अंत में मै सिर्फ इतना ही कहना चाहूँगा की अगर आप सच में अन्ना का साथ देना चाहते हैं तो अपने अंदर के भ्रष्टाचारी को भी निकाल कर बाहर फैंक दीजिए और लड़ाई शुरू कर दीजिए भ्रष्टाचार के खिलाफ
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