कल कुछ ऐसा देखा जिसे देखने के बाद दिल द्रवित हो गया और ये सवाल उठने लगा की क्या बेटे का होना परिवार के लिए इतना जरूरी हो जाता है की वो परिवार सही और गलत में अंतर करना भूल जाता है
कल मोहल्ले की एक महिला को लगभग पूरे दिनों से गर्भवती हालत में देखा और बुरी तरह से चौंक गया, चौंकने का कारण ये है की उनकी पिछली बेटी शायद पूरे एक साल की भी नहीं होगी और उनकी पहले ही ४ बेटियां है जिनमे सबसे बड़ी बेटी ५-६ साल के लगभग होगी.
मैंने माँ से कहा की इनकी तो अभी बेटी हुई थी जो मेरी बेटी से भी शायद ६ महीने छोटी है और वो तो अभी दूध पर ही जीवित होगी तो माँ का जवाब था किसी चमत्कारी साधू महात्मा ने इन्हें इस बार बेटा होना का वरदान दिया है जिसमे शर्त ये थी की बेटी के साल भर की होने के पहले ही बच्चा हो जाना चाहिए. साथ ही ये भी पता चला की जैसे जैसे जच्चगी का दिन पास आ रहा है बाप का चारो बेटियों के प्रति व्यवहार बड़ा ही कठोर और बुरा होते जा रहा है.
ये सुन कर मन तो किया की उस चमत्कारी ढोंगी को गोली मार दूं और उस बाप को भी जो एक संतान के दर्द को भूल कर बेटे की चाह में एक नई संतान को जन्म दे रहा है और उस पति को भी जो अपनी पत्नी को अपने शरीर का आधा हिस्सा ना मन कर एक बच्चा पैदा करने की मशीन मान बैठा है.
इन नालायको को क्यों ये बात समझ में नहीं आती की बेटे और बेटी है तो दोनों ही आपके बच्चे उन्हें ही पढाइए और उनकी ही परवरिश कीजिये जो इश्वर ने आपको दिए हैं तो जीवन सुख से भर जायेगा.
कुछ कहते हैं बेटे नहीं होंगे तो हमारे कुल का नाम मिट जायेगा मै कहता हूँ मेरे दादा जी के दादा जी का नाम मुझे याद नहीं है तो उनका कुल तो मिट ही गया ना और कमोबेश यही स्थिति हर व्यक्ति के साथ होगी .
कुछ कहते हैं की बेटे बुढ़ापे में उनकी सेवा करेंगे , मै कहता हूँ आपने आपके पिता की कितनी सेवा कर दी है जो आप ये उम्मीद कर रहे हैं. मैंने तो मेरे पिता की कोई सेवा नहीं कर दी है जो मै ये उम्मीद करूँ की मेरा कोई बेटा होगा और मेरी सेवा करेगा मेरे बुढ़ापे में .
मै मानता हूँ की इस तरह से एक बेटे की चाह में कई बच्चे पैदा करने से ना आपका वर्तमान सुधरेगा ना भविष्य में आप की कोई सेवा होगी क्योंकि आपका आज और कल इन बच्चे के लिए ही लग जायेगा. घर में पैसो की कमी बनी रहेगी क्युओंकी संताने ज्यादा है और उसके कारण कलह भी बनी रहेगी.
इस पोस्ट को लिखते समय किसी भी बात के अच्छे बुरे होने की बात नहीं सोची थी बस दिल का गुबार निकाल कर रखने की कोशिश की है.