Pages

Monday, April 25, 2011

क्या बेटो का होना इतना ज्यादा जरूरी हो जाता है

कल कुछ ऐसा देखा जिसे देखने के बाद दिल द्रवित हो गया और ये सवाल उठने लगा की क्या बेटे का होना परिवार के लिए इतना जरूरी हो जाता है की वो परिवार सही और गलत में अंतर करना भूल जाता है

कल मोहल्ले की एक महिला को लगभग पूरे दिनों से गर्भवती हालत में देखा और बुरी तरह से चौंक गया, चौंकने का कारण ये है की उनकी पिछली बेटी शायद पूरे एक साल की भी नहीं होगी और उनकी पहले ही ४ बेटियां है जिनमे सबसे बड़ी बेटी ५-६ साल के लगभग होगी.

मैंने माँ से कहा की इनकी तो अभी बेटी हुई थी जो मेरी बेटी से भी शायद ६ महीने छोटी है और वो तो अभी दूध पर ही जीवित होगी तो माँ का जवाब था किसी चमत्कारी साधू महात्मा ने इन्हें इस बार बेटा होना का वरदान दिया है जिसमे शर्त ये थी की बेटी के साल भर की होने के पहले ही बच्चा हो जाना चाहिए. साथ ही ये भी पता चला की जैसे जैसे जच्चगी का दिन पास आ रहा है बाप का चारो बेटियों के प्रति व्यवहार बड़ा ही कठोर और बुरा होते जा रहा है.

ये सुन कर मन तो किया की उस चमत्कारी ढोंगी को गोली मार दूं और उस बाप को भी जो एक संतान के दर्द को भूल कर बेटे की चाह में एक नई संतान को जन्म दे रहा है और उस पति को भी जो अपनी पत्नी को अपने शरीर का आधा हिस्सा ना मन कर एक बच्चा पैदा करने की मशीन मान बैठा है.

इन नालायको को क्यों ये बात समझ में नहीं आती की बेटे और बेटी है तो दोनों ही आपके बच्चे उन्हें ही पढाइए और उनकी ही परवरिश कीजिये जो इश्वर ने आपको दिए हैं तो जीवन सुख से भर जायेगा.

कुछ कहते हैं बेटे नहीं होंगे तो हमारे कुल का नाम मिट जायेगा मै कहता हूँ मेरे दादा जी के दादा जी का नाम मुझे याद नहीं है तो उनका कुल तो मिट ही गया ना और कमोबेश यही स्थिति हर व्यक्ति के साथ होगी .

कुछ कहते हैं की बेटे बुढ़ापे में उनकी सेवा करेंगे , मै कहता हूँ आपने आपके पिता की कितनी सेवा कर दी है जो आप ये उम्मीद कर रहे हैं. मैंने तो मेरे पिता की कोई सेवा नहीं कर दी है जो मै ये उम्मीद करूँ की मेरा कोई बेटा होगा और मेरी सेवा करेगा मेरे बुढ़ापे में .

मै मानता हूँ की इस तरह से एक बेटे की चाह में कई बच्चे पैदा करने से ना आपका वर्तमान सुधरेगा ना भविष्य में आप की कोई सेवा होगी क्योंकि आपका आज और कल इन बच्चे के लिए ही लग जायेगा. घर में पैसो की कमी बनी रहेगी क्युओंकी संताने ज्यादा है और उसके कारण कलह भी बनी रहेगी.

इस पोस्ट को लिखते समय किसी भी बात के अच्छे बुरे होने की बात नहीं सोची थी बस दिल का गुबार निकाल कर रखने की कोशिश की है.



Friday, April 8, 2011

क्या हम सच में अन्ना हजारे के साथ है



आज अन्ना हजारे जी भ्रष्टाचार मुक्त भारत के लिए  लड़ रहे हैं और हम सब उनका साथ देने का दावा कर रहे हैं लेकिन क्या सच में हम उनका समर्थन कर रहे हैं, क्या सच में हम भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड फैंकने के लिए कृत संकल्पित है.

आज किसी न किसी तरह से हम सब भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं,और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना भी उतना ही बड़ा अपराध है जितना भ्रष्टाचारी होना.

सबसे पहले मै सवाल करूँगा भ्रष्टाचार क्या है, मेरे हिसाब से इसका सीधा जवाब है "अपने पद का दुरपयोग कर के खुद के लिए गलत फायदा उठाना या अनुचित तरीके से दूसरों के अधिकारों को दबा कर खुद के लिए लाभ उठाना".

मेरी अगली बात ये है की हम सब किसी न किसी स्तर पर भ्रष्टाचार कर रहे है या उसे बढ़ावा दे रहे हैं, इसके उदाहरण आप कुछ इस तरह से ले सकते हैं ...

एक पहले से लगी हुई कतार में खड़े होने के बजाय हमेशा आगे आने की कोशिश करेंगे ताकि हमारा काम जल्दी हो जाये, जो ऐसा कर रहे हैं वो तो एक भ्रष्टाचारी बन ही गए जो पीछे खड़े है वो इस बात का प्रतिकार भी नहीं करते की भाई आप कतार में क्यों नहीं लगते तो पीछे खड़े हुए सभी लोग बन गए भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाले. थोड़े समय बाद होता ये है की इस तरह से कतार के बीच में आना ये लोग अपना अधिकार मान लेते हैं.

दूसरा उदाहरण ये ले सकते हैं की
आप एक किराना दुकान पर दुकानदार द्वारा एक किलो में २० ग्राम कम तौलने पर या पेट्रोल पम्प पर १०० रूपये में ६५ पैसे का कम पेट्रोल देने पर या ऐसे ही किसी मौके पर कभी कोई शिकायत नहीं करते ये सोच कर की इतने से के लिए क्या लड़ना और चुपचाप सह लेते हैं, नतीजा ये होता है की दुकानदार हर बार यही करता है और वो इसे अपना अधिकार मान लेता है. इस तरह से दुकानदार तो भ्रष्टाचारी बना ही हम भी भ्रष्टाचार का साथ देने वाले बन जाते हैं.

एक उदाहरण और ले सकते हैं
अपना फायदा करने के लिए बिल ना लेना या कम पैसे का बिल लेना भी एक तरह से भ्रष्टाचार ही है. ५००० रूपये के सामान पर कुछ रूपये का टैक्स बचाने के लिए हम बिल नहीं लेते हैं ताकि हमारे ६००-७०० रूपये बच जाये लेकिन इस वजह से सरकारी खजाने में जाना वाला सारा पैसा दुकानदार की काली कमाही का हिस्सा बन जाता है. यहाँ हम ना केवल भ्रष्टाचारी बने बलि भ्रष्टाचार का पूरा पूरा साथ ही दिया है.

इसी तरह से आप उदाहरण देखने की कोशिश करेंगे तो आप को हर जगह इस तरह के उदाहरण मिल जायेंगे जहा हम अपना समय या पैसा बचाने के लिए या कोई काम निकलवाने के लिए कभी भी भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने में पीछे नहीं हटते हैं.

कहने के लिए ये सारी बाते बहुत छोटी हो सकती है लेकिन इसका जो असर होता है वो बहोत बड़ा होता है और ये असर सिर्फ आज नहीं आने वाली नस्ल को भी पूरी तरह से भ्रष्टाचारी बना देता है.

हम एक भ्रस्टाचार मुक्त भारत तो चाहते हैं लेकिन खुद को नहीं बदलना चाहते.

अंत में मै सिर्फ इतना ही कहना चाहूँगा की अगर आप सच में अन्ना का साथ देना चाहते हैं तो अपने अंदर के भ्रष्टाचारी को भी निकाल कर बाहर फैंक दीजिए और लड़ाई शुरू कर दीजिए भ्रष्टाचार के खिलाफ



 
Web Analytics